हैलो दोस्तो इस आर्टिकल में हम लोग पढ़ने वाले हैं debt म्यूचुअल फ़ंड और Equity म्यूचुअल फ़ंड के बारे में और आप लोगो में से कई का सवाल आता हैं कि हम कौन से फ़ंड के निवेश करे कि किस में ज्यादा रिस्क हैं और किस में कम रिस्क हैं और Debt or Equity Mutual Funds in hindi हम अपना पैसा कब निकाल सकते हैं
और कब नहीं निकाल सकते हैं तो इन सब सवाल का जबाब हम लोग इस आर्टिकल में पढ़ने को मिल जाएगा और और आपका प्रॉबलम भी दूर हो जाएगा इन सब सवालों से और आप लोग इस आर्टिकल को जरूर पढ़ कर जाएगा जिसे आपको जानकारी पूरी तरह से मिल जाए

इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने से पहले एक बात और बता दो अगर आप स्टॉक मार्केट से रिलेटेड को भी सवाल हो तो आप इस आर्टिकल पर comments कर सकते हैं और अपना सवाल पुछ सकते हैं और अगर आपको demat अकाउंट open करना हैं तो आप इस लिंक के साथ जा सकते हैं और इस आर्टिकल को तीन बातों से समझते हैं
- What Are Equity Funds & Debt Funds?
- Pros & Cons?
- Where to Invest?
What Are Equity Funds & Debt Fund
अगर मै Equity फ़ंड और debt फ़ंड में जो अंतर हैं वह आपका पैसा कहाँ निवेश हो रहा है वह हैं और अगर आपने इक्विटि फ़ंड के अंदर पैसा डाला जो म्यूचुअल फ़ंड हैं वह आपका maximum पैसा इक्विटि यानि की शेयर के अंदर इन्वेस्ट करता हैं शेयर यानि कि जो आपकी कंपनी होती हैं
जो उनके शेयर स्टॉक पर लिस्ट होते हैं उनके अंदर निवेश होता हैं आपका पैसा और debt fund कि बात करे वह आपका सारा पैसा Fixed Income Securities के अंदर निवेश होता हैं यानि कि कंपनी को finesial intuition को govt को एक तरह से म्यूचुअल फ़ंड लोन देती हैं
और बदले में ब्याज मिलता हैं उन सारी संस्थानो से या उन कंपनी से अब दोनों ही केश में म्यूचुअल फ़ंड अपनी फीस चार्ज करेगा जो 1 से 2 % कि होती हैं जिस हम लोग expance रैशियो भी कहते हैं तो ये सिम्पल सा परिभाषा हैं Equity fund और Debt fund का चलिए अब हम लोग बात कर लेते हैं Equity फ़ंड और debt फ़ंड के लाभ और हानि
Pros & Cons Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
Equity fund और debt फ़ंड को हम लोग चार तरीके से समझगे Risk, Returns, Liquidity, Volatility इन चारों को समझते हैं

Risk
Equity fund में रिस्क थोड़ा ज्यादा होता हैं क्योंकि आपका पैसा शेयर में निवेश होता हैं लेकिन ये रिस्क बहुत ज्यादा नहीं होता हैं यानि कि हाइ नहीं हैं और अगर आप शॉर्ट टर्म में करते हैं तो ये हाइ हो सकती हैं जैसे मार्केट उसी साल खराब चल रही हो Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
और आपने उसे पैसे को जल्दी ना निकाल पाये तो आपका शॉर्ट टर्म के अंदर रिस्क हाइ होता हैं और अगर आप लॉन्ग टर्म येही निवेश रखते हैं तो आप ये रिस्क आपके लिए लो हो जाता हैं क्योंकि आपके शेयर बहुत ज्यादा होता हैं और ये शेयर म्यूचुअल फ़ंड कई कंपनी के पास होता हैं
और काफी भिन्न – भिन्न जगहों पर निवेश होता हैं Equity फ़ंड के अंदर 50 से 80 कंपनी के शेयर म्यूचुअल फ़ंड अलग – अलग शेयर खरीद कर रखता हैं और हम कह सकते हैं कि शॉर्ट टर्म में मार्केट में उतार चड़ाओ हो सकते हैं वह उसे पर दीपेंड करता हैं लेकिन लॉन्ग टर्म में moderate हो जाता हैं Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
और वही हम लोग debt फ़ंड कि बात करे तो आपका सारा पैसा Govt, के पासा या फिर किसी कंपनी के पास या किसी संस्थान में ये लोन के फोरम में जा रहा हैं पैसा और आपका वह पर रिटर्न मिल रहे हैं तो आपका रिस्क भी कम हो जाता हैं
और दूसरी तरफ रिटर्न्स कि बात करे तो क्योकि आप Equity फ़ंड के अंदर इन्वेस्ट कर रहे हैं तो आपकी natural से बात हैं कि रिस्क ज्यादा हैं तो वह पर आपकी रिटर्न्स भी ज्यादा हो सकता हैं ये मान कर चले आप और हाँ आप शॉर्ट टर्म में आपके रिटर्न्स कम भी हो सकते हैं और ज्यादा भी हो सकता हैं
और हाँ शॉर्ट टर्म में आपकी रिटर्न्स कम भी हो सकती हैं और ज्यादा भी हो सकता हैं किसी साल में हो सकता हैं 50% का रिटर्न्स मिल जाए और किसी साल हो सकता हैं -30% चली जाए मार्केट तो आपके म्यूचुअल फ़ंड के रिटर्न्स भी हो सकता हैं 30 % चले जाए
लेकिन हम लोग Overall देखे तो 5 साल 7 साल 10 साल कि बात करे तो 13 से 15 % लॉन्ग टर्म में आपको आराम से मिल सकता हैं म्यूचुअल फ़ंड के अंदर और दूसरी तरफ debt फ़ंड कि बात करे तो वह आपको एव्रेज रिटर्न्स मिलते हैं 7 से 8 % के क्योंकि वह पर आपको कोई भी रिस्क नहीं होता
और आपको assured यानि फिक्स ही 7 से 8 % मिलता ही हैं और ये मार्केट पर देपेंड नहीं रहता हैं चाहे कंपनी का लाभ हो या हानि हो वह आपको उतना % रिटर्न्स देगा ही देगा आप ये मान कर चले कि जैसे बैंक देता हैं तो और आपसे ब्याज लेता हैं और आप भी debt फ़ंड में एक तरह से कंपनी को लोन दे रहे हैं
या किसी financial सस्थान को ये सरकार को और वह आपको फिक्स रिटर्न्स दे रहा हैं तो ये हो गई रिस्क और रिटर्न्स कि कि बात Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
Liquidity
देखो Liquidity का क्या मतलब होता हैं अप अपना पैसा कितना जल्दी निकाला सकते हैं किसी निवेश से तो दोनों ही cash में आप पैसा जल्दी निकाल सकते हैं चाहे Debt fund हो या Equity fund या म्यूचुअल फ़ंड लेकिन में कहूँ गा कि Liquidity म्यूचुअल फ़ंड के अंदर कम होती हैं वह कम क्यों होती हैं Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
क्योंकि अगर मान लीजिए आपका प्रोत्फ़ोलिओ -10 चला गया हैं तो हो सकता हैं आप् अपने उस पैसे को ना निकालना चाहते हो तो इस वजह से liquidity थोड़ी सी कम हो जाती हैं Equity के अंदर वही दूसरी तरफ debt फ़ंड के अंदर ज्यादा होता हैं या हाइ होता हैं यही पर आप अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं
और liquidity भी ज्यादा होता और यहाँ पर आपका 7 से 8 % रिटर्न्स भी मिल जाता हैं
Volatility
volatility क मतलब है उतार चढाओ मार्केट का या रिटर्न्स का और अगर हम लोग Equity की बात करे तो उतार चढ़ाओ ज्यादा होता हैं क्योंकि शेयर कभी ऊपर तो कभी नीचे होते रहते हैं तो यहाँ पर volatility कभी ज्यादा हो जाती हैं
यानि की हम लोग जैसा की पहले देखा कभी 50 % तो कभी -30 % भी हो सकता हैं किसी साल के अंदर लेकिन अगर हम लोग लंबे समय तक देखे तो हमें रिटर्न्स अच्छे मिल सकते हैं “Debt or Equity Mutual Funds in Hindi” Equity म्यूचुअल फ़ंड के अंदर debt फ़ंड के अंदर volatility काफी कम होती हैं यानि की उतार चढ़ोओ नहीं होती हैं
क्योंकि वह पर आपको फीस रिटर्न्स मिलते हैं और बहुत हद करके 8% के जगह 7 % आ जाएगा आपका रिटर्न और अच्छा ग्रोथ हुआ सरकार और सस्थानों को तो ये 9 % तक हो सकता हैं तो वह पर volatility काफी कम होती हैं Equity और debt फ़ंड में क्या फर्क हैं ये तो आप समझ ही गए होगे इसके क्या फायदा और क्या नुकसान हैं
Where to invest
अब हम लोग बात कर लेते है की हमें अपना पैसा कहा पर लगाना हैं जैसे debt फ़ंड में या फिर म्यूचुअल इक्विटि फ़ंड में या फिर कितना स्पिलट करना चाहिए ये दीपेंड करता हमारी तीन बातों पर पहला हैं
Age,यानि की हम अपने कैरियर कि किसी age पर काम कर रहे हैं दूसरा हैं रिस्क appetite आप हो सकता हैं रिस्क ज्यादा लेना चाहु या रिस्क ना लेना चहुं तीसरा होता हैं Disposable Income किसी के पास हो सकता हैं ज्यादा पैसे हो इन्वेस्ट करने के लिए
- Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
और किसी के पास कम पैसे हो तो यहाँ पर हम एक Thumbrule use कर सकते हैं जितना आपका age हैं उतना पैसा Debt fund के अंदर डाल सकते हैं मान कर चले आपकी age 25 साल हैं तो आप 25 % पैसा Debt फ़ंड में डालो और 75% पैसा 100 (-) आपका age आप 75 % पैसा इक्विटि में डालिए
लेकिन ये कोई फोर मुला नही हैं और कोई 25 साल का लड़का पैसा अच्छा कमाता हैं उसके पास रिस्क ज्यादा हैं तो वह अपना 100 % पैसा भी equity के अंदर डाल सकता हैं और वही पर एक और उदाहरण देखते हैं तो अगर कोई 50 साल का हमारे thumbrule के हिसाब से कितना पैसा
उसे डालना चले debt फ़ंड के अंदर लेकिन उसकी भी इंकम ज्यादा हैं तो वह भी अपना ज्यादा पैसा इक्विटि के अंदर ज्यादा डाल सकता हैं 80 से 90 % भी पैसा डाल सकता हैं इक्विटि फ़ंड के अंदर लेकिन मान कर चले उसका इंकम कम है Debt or Equity Mutual Funds in Hindi और सारा खर्च करने पर Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
और वह व्यकित चाहता हैं कि उसको कुछ फिक्स इंकम आए तो वह debt fund के अंदर ज्यादा पैसा डाल सकता हैं और वही 60 के 70 के 80 साल के कर्ब हैं debt fund के थोरु पैसा इक्कठ करना चाहे जैसे के liquity फ़ंड होते हैं वह से चाहे तो वह एक अच्छी इंकम पा सकते हैं Debt or Equity Mutual Funds in Hindi
तो वह पर आप debt फ़ंड के अंदर ज्यादा पैसा डाल सकते हैं एक रूल आपको जरूर हेल्प करेगा आपको आपके निर्णय लेने में