MARY कॉम
Ye attitude hai mary kom ka
MARY KOM को कई बार इग्नोर करने की कोशिश की गई जैसे 2 बार वर्ल्ड चैम्पियन शिप बनने के बाद MARY KOM को राज्य सरकार ने कांस्टेबल की नौकरी दी और इस समय MARY KOM को पैसे की बहुत जरूरत थी | Mary Kom attitude महीने के दस हजार उनके और उनके परिवार के लिये बहुत मदद हो सकता था
लेकिन फिर भी MARY KOM इन सब चीजों को शांति से मना कर दिया और कहा की वर्ल्ड चैम्पियन को इससे बेहतर पोस्ट या नौकरी मिलना चाहिए मेरी कॉम मणिपुर के एक छोटे कबीले के समुदाय से थी और माता पिता दूर गावा मे मजदूरी करते थे और इंडिया मे वुमेन बॉक्सिंग अभी-अभी नया खेल आया था

इसलिए सरकार ने उन्हे ज्यादा महत्व नहीं दिया फिर तीसरी बार वर्ल्ड चैम्पियन शिप जीतने के बाद जब मेरी कॉम का नाम मीडिया मे बोला जाने लगा तब जाकर स्टेट सरकार ने उन्हे sub इंस्पेक्टर की पोस्ट दी जो mary kom ने स्वीकार कर ली Mary Kom attitude
हम आगे देखेगे की mary कॉम को खुद को कई बार साबित करना पड़ा तब पर भी उन्हे कभी कुछ आसानी से नही मिला mary कॉम कहती है की जितना लोग मुझे दबाने की कोशिश करेगे या इग्नोर करने की कोशिश करते ‘Mary Kom attitude’ तब मेरे अंदर की आग उतनी ज्यादा भड़क जाती ये सब मेरी कॉम के अंदर आया कहा से उनके पिता मेरी कॉम अपने ऑटोबायोग्राफी UNBREAKABLE मे MARY KOM अपने पिता के बारे मे बताती है Mary Kom attitude
की पिता के त्याग की कहानी पढ़ कर मेरे aakhe कई बार नम हो जाते थे ये त्याग और sacrifice की भावना मेरी कॉम की personality और वर्क एथिक का हिस्सा बनी और हुआ यु की mary कॉम के पिता अपने गाव के सरदार के सबसे बड़े बेटे थे औए उनका गाव का सरपंच बनना तय था Mary Kom attitude
लेकिन ज्यादा पढे लिखे नहीं थे मेरी कॉम के पिता इतने ईमानदार थे कि उन्होने खुद सरपंच बनने से मना कर दिया पिता चार भाई थे और घर मे खेती कि छोटी सी जमीन थी हर दिन कि लड़ाई से बचने के लिए वे सब कुछ छोड़ कर दूसरे गाव आ गए और मजदूरी करने लगे और यहा से इस परिवार का कठिन तप या कठिनतम जीवन कि कहानी शुरू होती है Mary Kom attitude
मेरी कॉम कहते है कि मेरे जन्म के बाद माता पिता ने 0 से जीवन शुरू किया उन्होने अपने हाथो से झोपड़ी बनाई और दिन भर मेहनत करने के बाद उन्हे एक वक्त पेट भर खाना नहीं मिलता था | कभी कभी खाना बच जाता तो हम बच्चे रात मे खा लेते पिता अकसर भूखे ही सो जाते इतने सघर्ष के बाद भी पिता का बस एक सपना था Mary Kom attitude
जो मेरे साथ हुआ मै अपने बच्चो के साथ नहीं होने दुगा मेरे बच्चे 10th पास करेगे वो भी अच्छे स्कूल से और उस सपने के लिए माता पिता दोनों ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया खेती के मौसम मे माता पिता दोनों दूसरो के खेत मे काम करते जब काम नहीं मिलता तो पिता जगल मे लकड़िया काटने चले जाते
अगर आपको इनका जीवन परिचय पढ़ना हैं तो इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं
और घने जगल मे पेड़ के नीचे बैठ कर सो जाते कि जगली जानवर आएगा तो भागने मे आसानी होगी एक बार पिता पेड़ से गिर गए और उन्हे बहुत चोट आई जगल मे कोई द्वा पट्टी का इतजाम नही था वे जख्मी हालत मे भी मजदूरी करते रहे आखिर उन्हे पैसे घर भेजने थे ऐसे सघर्ष के छोटे किस्से है
mary kom जी की किताब मे हम आर्टिकल के आखिर मे चर्चा करेगे mary कॉम इस समय छोटी बच्ची थी लेकिन वो अपने माता पिता का intense सघर्ष हर समय महसूस कर सकती थी वे कहती है की गाव मे और भी गरीब घर थे लेकिन उनके बच्चे सोते और घूमते रहते थे हमारे पिता ने बचपन से ही मेहनत और ईमानदारी सिखाई थी वे किताब मेकहती है
“APPA TAUGHT ME THE DIGNITY OF HARD LABOUR &HONEST”
DIGNITY OF HARD WORK
इसका मतलब दस साल की mary कॉम की भाषा मे समझते है mary kom कहती है की मै तीन भाई बहनो मे सबसे बड़ा होने के कारण पिता का बेटा भी थी मै रोज सुबह 5 बजे उठकर पिता के साथ खेत पर निकाल जाती मैने चोटी उम्र मे ही बैलो को हाकने से लेकर भारी सामान उठाने तक खेती के सारे काम सीख लिए फिर स्कूल का समय होता घर आकार कुछ खाती और स्कूल के लिए तैयार हो जाती
Mary कॉम का स्कूल गाव से एक घटा दूर शहर मे था जो mary कॉम फटाफट दौड़कर जाती थी इतना ही नहीं Mary Kom attitude मेरी कॉम कहती है की मै माँ की बेटी भी थी स्कूल से लौटकर घर का सारा काम करना चूल्हे के लिए लकड़ी ले कर आना कपड़े धोना गाय की साफ सफाई करना सब की मदद करना हम तब तक काम करते थे
जब तक अंधेरा ना हो जाता था आगे मेरी कॉम कहती है Mary Kom attitude
I USED TO BE BONE TIRED
रात तक पूरी तरह हड्डीया तक थकने के बाद पिता जी को खुश करने के लिए लालटेन की रौशनी मे जल्दी जल्दी किताब निकाल कर कुछ पढ़ने लगती थोड़ा बहुत पड़ती और सो जाती |
“दोस्तो इस कहानी को खुद को तब तक याद दिलाओ जब तक आपके अन्दर शिकायत की एक बूद भी बाकी है कि ये ज़िदगी बहुत कठिन है”
मेरी कॉम कहती है कि बचपन मे मुझे सारे काम जल्दी-जल्दी करने पड़ते थे खेत मे काम करते करते लेट हो जाती तो दौड़कर स्कूल जाना पड़ता जिस कारण मेरे हाथ पर बहुत तेज चलते उस समय शरीर के थकने के देर बाद तक मै काम कर सकती थी
मेरे शरीर अनजाने मे ही बॉक्सिंग के लिए तैयार हो रहा था जब मेरी कॉम ने काम या training करना शुरू किया तब वो लड़कों के साथ ही अभ्यास करती Mary Kom attitude क्योकि लड्कीया तो उनके punches झेल ही नहीं पाती
और ये समय उन्हे ज्यादा ताकतवर बनाया हर इसान इस बात को मानता है कठिन समय मे न आलस करो न शिकायत बस पूरी दम लगा दो आप को कभी regret नहीं होगे ये बात मेरी कॉम कहती थी

जब मेरी कॉम 15 साल के होते होते ये साफ दिखने लगा था कि मेरी कॉम का भविष्य स्पोर्ट मे है पहले पिता जी तैयार नहीं थे Mary Kom attitude लेकिन आखिर मे मेरी कॉम मणिपुर कि राज्यधानी इम्फ़ाल पहुची अपने रिश्तेदार के यहा शहर के एक स्कूल मे 9th क्लास मे admission लिया फिर अकेले बॉक्सिंग कोच से मिलने चली गई
बॉक्सिंग के कोच इतनी छोटी सी लड़की का साहसदेख कर इम्प्रेस हो गए और उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई इस समय मेरी कॉम के पास supplement तो क्या पूरी diet और equipment के लिए भी पैसे नहीं थे लेकिन उनकी ट्रेनिंग और जज्बे मे कोई कमी नहीं आई यही मेरी कॉम कि वर्क एथिक की अगली बड़ी खूबी है
मेरी काम कहती है की उस समय मुझे लगता था कि किसी तरह स्पोर्ट कोर्ट से नौकरी मिल जाए तो मै माता पिता और भाई बहन को गरीबी से बाहर निकाल सकुगी मेरी कॉम कहती है कि उस समय मुझे पता नहीं था कि ये सब कैसे होगा बस मुझे पता था कि
MEMBER OF PARLIAMENT RAJYA SABHA
ये स्पोर्ट से होगा मै बस कोशिश करती रही इसी ड्राइव के कारण कांस्टेबल की पोस्ट को मना करने वाली मेरी कॉम MEMBER OF PARLIAMENT RAJYA SABHA उन्हे पदम श्री, पदम भूषण, पदम विभूषण और कई अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है मेरी काम के व्यकितत्व की तीसरी खूबी है
जितना दबाओ गे उतना ऊपर जाऊगी पहले लोग हसते थे कि ये 5 फूट 2 इंच की पतली दुबली लड़की क्या करेगी फिर कोचेस ने कहा माँ बनने के बाद दूसरे players को स्टेट से खेलने का मौका देना चाहिए फिर ओलिम्पिक selection committee के कुछ लोगो का कहना था Mary Kom attitude कि माँ बनने के बाद मेरी कॉम कि स्पीड कम हो जाएगी
और वो अपने से लंबे चौड़े प्लाएर्स को हरा नहीं सकती इसलिए Olympic selection के लिए मेरी कॉम का मैच पाच अलग-अलग weight category के boxers से कराया गया और उनकी बीच मे ब्रेक का समय भी कम कर दिया गया जिससे मेरी कॉम थक कर कमजोर पड़ जाए
और सबके सामने साबित हो जाए कि मेरी कॉम अब तैयार नहीं है लेकिन मेरी कॉम को आप दबा नहीं सकते कोच कहते है कि वो उस दिन शेरनी कि तरह लड़ी किसी और मे इतना जज्बा था नहीं कि मेरी कॉम के सामने टिक सके और selection committee को आखिर झुकना ही पड़ा
इसी बात मे एक और lesson छिपा है आपके साथ हमेश सही ही होगा इसकी कोई उम्मीद मत करो मारी कॉम कहती है को 2006 wc final मे मेरे लिए सबसे कठिन मैच था क्योकि पूरे टूर्नामेंट मे मुझे सदी और बुखार था कई बार नॉर्मल cough कोल्ड की द्वाई भी डोपिंग टेस्ट मे positive आ जाती थी
मेरी कॉम कहती है इसलिए मैने कोई द्वाई नहीं खाई और बुखार मे वर्ल्ड championahip जीती अगर मेरी कॉम “Mary Kom attitude”अपनी किस्मत को कोसती या डर जाती तो वो मैच पहले से हर जाती मेरी कॉम ने वही किया जो वो हमेशा करती आई है पहले राउंड से अटैक किया
और मैच को dominate किया दोस्तो कभी किस्मत या system को कोसने मे समय मत खर्च करो अपने योग्यता और इच्छा शक्ति से भरोसे ज़िदगी का गेम खेलो मेरी कॉम की autobiography unbreakable 203 Rs की बेहतरीन किताब है क्योकि मेरी कॉम बहुत ईमानदारी से बिना लाग लपेट के अपनी कहानी सुनती है Mary Kom attitude
ये किताब आप की कलेक्शन मे होना चाहिए आपको ए क female athlete के नजरिए से दुनिया देखने का मौका मिलेगा और बहुत कुछ सीखने को मिलेगा आपको इस किताब का लिंक से download कर सकते है Mary Kom attitude