इस आर्टिकल में हम म्यूचुअल फ़ंड के basics के बारे में जाने गे इस आर्टिकल में मुखतः चार पॉइंट पर बात करेगे म्यूचुअल फ़ंड के अंदर इन्वेस्ट क्यों करना चाहिए दूसरा features ऑफ टाइप्स ऑफ म्यूचुअल फ़ंड तीसरा आपको कैसे निवेश करना चाहिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और चौथा हर एक इन्वेस्टमेंट में लाभ और हानि होता हैं तो उसके भी हम pros और cons देखगे
1. Why Mutual Funds?
2. Features & Types of Mutual Funds?
3. How to Invest?
4. Pros & Cons?
Why Mutual Funds?
सबसे पहले हम लोग why म्यूचुअल फ़ंड के बारे में जान लेते हैं और इस हम लोग थोड़ा comparing में समझते हैं कि बाकी के इनवेस्टमेंट से कैसे compare करता हैं देखे जब भी आप कोई इनेस्टमेंट करते हैं तो चार मेन इंपोर्टेंट चीज होती हैं सबसे पहला उसके अंदर रिस्क कितना हैं रिस्क का मतलब हम देखे तो कोई भी इनवेस्टमेंट जेरो रिस्क पर नहीं होती हैं अगर आप सविंग अकाउंट में पैसा डाले गे तो जेरो रिस्क नहीं हैं अगर बैंक, बैंक bankrupt हो जाता है तो आपके पैसे का क्या होगा इस के ऊपर मैने एक आर्टिकल भी लिखा था सविंग अकाउंट के ऊपर आप जा कर पड़ सकते हैं अगर बैंक bankrupt होता हैं तो आपके पैसे का क्या होता हैं दूसरी इंपोर्टेंट चीज क्या होती हैं आपको returns कितने मिल रहे है एव्रेज रिटर्न में हम जब बात करेगे तो हम लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट की बात करेगे जैसे की आपको 5 से 10 साल में कितने रिटर्न्स मिलेगे और दूसरा क्या ध्यान देना होता हैं Mutual funds basics for beginners in hindi अगर कोई इनवेस्टमेंट रिटर्न्स inflation भी नहीं बीट कर सकता है तो उस इनवेस्टमेंट से हमें कोई लाभ नहीं हो रहा हैं जहां तक देखा जाए तो हम लॉस ही हो रहा हैं inflation मतलब महगाई अगर किसी इनवेस्टमेंट से हमें inflation के बराबर भी रिटर्न नहीं मिल रहा हैं तो वहाँ पर हमे लॉस हो रहा हैं तो इस बात का भी हमें थोड़ा ध्यान रखना चाहिए तीसरी होती है आपकी Volatility किसी के रिटर्न यानि की किकिसी भी इनवेस्टमेंट के रिटर्न कितने ऊपर नीचे होते है उसके ऊपर तो कभी बहुत कम रिटर्न हो जाता हैं और कभी बहुत ज्यादा रिटर्न हो जाते हैं एक दम से तो ये भी इंपोर्टेंट हैं मान लीजिए किसी साल के अंदर बहुत ज्यादा रिटर्न कम हो गए और लॉस में चले गए अगर पैसे को उस टाइम में जरूरत है तो आप क्या करेगे चौथा important बात ये होती है की Liquidity कि आप कितना जल्दी किसी इनवेस्टमेंट से पैसा निकाल सकते हैं जैसे कि कोई भी इनवेस्टमेंट कितना जल्दी cash के अंदर बदल सकता हैं म्यूचुअल के अंदर आपका पैसा कोई कंपनी आपका पैसा किसी स्टॉक में लगा रही हैं या स्टॉक के अंदर या बॉन्ड के अंदर लगा रही है या अलग – अलग जगह पर लगा रही हैं आप ये समझ सकते हैं कि स्टॉक कि तरह ही ऊपर नीचे जाते हैं यहाँ पर आपका रिस्क बहुत कम होता है या स्टॉक से बहुत काम रिस्क होता है ये समझ लीजिए आप और बाकी इनवेस्टमेंट से थोड़ा ज्यादा हैं ये समझ कर चले आप जैसे FD securities हो या रियल इस्टेट हो गोल्ड हो इन सब से ज्यादा रिस्क हैं म्यूचुअल फ़ंड में और volatility कि बात करे तो म्यूचुअल फ़ंड के अंदर volatility बहुत ज्यादा होती हैं ये भी सीधा – सीधा SENSEX और Nifty पर निर्भर करता हैं कई बार 30 % भी नीचे गिरता हैं म्यूचुअल फ़ंड और कभी किसी साल 30 % ऊपर भी जाता है म्यूचुअल फ़ंड 50% भी गिर सकता हैं और 50% ऊपर भी चला भी जाता हैं म्यूचुअल फ़ंड और एव्रेज रिटर्न की बात करे हम लोग तो 13 से 15 % का रिटर्न मिल जाते हैं म्यूचुअल फ़ंड में Liquidity कि बात करे तो वह भी आप कभी भी बेच सकते हैं स्टॉक कि तरह तो वह भी बहुत हाइ होती हैं तो इसी वजह से हम म्यूचुअल फ़ंड के अंदर इन्वेस्ट करते हैं क्योंकि आपको एक तो आपको हाइ रिटर्न्स कमाने का मौका मिलता हैं जैसे कि स्टॉक के अंदर आप directly participate नहीं कर सकते हैं आपको पूरी जानकारी नहीं हैं आप म्यूचुअल फ़ंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं और आपका रिस्क बहुत कम हो जाता हैं म्यूचुअल फ़ंड multiple स्टॉक्स के अंदर इन्वेस्ट करता हैं और Experts वहाँ पर पूरा analysis कर के वहाँ पर अलग – अलग स्टॉक को सिलैक्ट करता हैं और अलग-अलग बोंड्स को सिलैक्ट करता हैं तो उसका एक समझदारी काम आ रही हैं या तो आपके पास अभी नहीं हैं या फिर आपके पास टाइम ना हो इन सब में रिसर्च करने का तो म्यूचुअल फ़ंड एक अच्छा ऑप्शन निकाल कर आता हैं अगर आप थोड़ा सा बेहतर रिटर्न कमाना चाहते हैं तो और म्यूचुअल फ़ंड 5 से 10 साल का रिटर्न देखे हमेशा तब आप inflation को आसानी से बीट कर सकते हैं अगर आपका 7 से 8 % inflation हर साल हैं तो अगर 15 से 16 5 का रिटर्न मिल रहा हैं तो आप definitely आप प्रॉफ़िट में रहे गे
Features & Types – देखे म्यूचुअल फ़ंड हैं क्या बहुत सारे लोग एक फ़ंड हाउस को अपना पैसा देते है और एक फ़ंड मैनेजर होता हैं वह अलग – अलग Securities के अंदर आप सब का पैसा लगता हैं और आपको रिटर्न्स कमा कर देता हैं बदले में एक commission रख लेता हैं तो ये जो फ़ंड हाउस होते हैं इनको manage करने वाली होती एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी जैसे – SBI म्यूचुअल फ़ंड, Axis म्यूचुअल फ़ंड, ICICI Prudential, Aditya Birla, Etc. इस तरह की काफी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है इंडिया के अंदर जो मल्टिपल फ़ंड चलते हैं तो अब कोई कंपनी 400 – 500 फ़ंड चला सकती हैं तो ये फ़ंड किस तरह के होते हैं mainly आपके दो तरह के होते हैं या 3 तरह के फ़ंडहोता हैं 1.Equity Mutual Fund जो आपका स्टॉक के अंदर पैसा लगते हैं अलग – अलग 2. दूसरा होता हैं debt म्यूचुअल फ़ंड जो fixed इंकम securities के अंदर लगती हैं आपका पैसा जैसे bonds, Debentures, Government, Securities या फिर Mutual funds basics for beginners in hindi
Certificate of deposits 3. Hybrid MF तीसरे होते हैं आपका इनका mixture hybrid म्यूचुअल फ़ंड तो आपको depends करता हैं की आपको कितना रिस्क लेना हैं आप थोड़ा ज्यादा रिस्क लेना चाहते हैं तो आप Equity म्यूचुअल फ़ंड की तरफ जा सकते हैं थोड़ा सा आप conservatively करना चाहते हैं तो आप Debt म्यूचुअल फ़ंड में लगा सकते हैं और आप moderate रिस्क लेना चाहते हैं तो आप हाइब्रिड फ़ंड के अंदर लगा सकते हैं जिस के अंदर आपको अलग अलग पैसा लगाने का ऑप्शन मिल जाते हैं कोई फ़ंड 70% कि इक्विटि के अंदर लगता हैं और कोई 305 इक्विटि debt के अन्दर लगता हैं कोई फ़ंड 60% से 40% के औसत में लगता हैं तो ये अलग – अलग रैशियो देखने को मिल जाते हैं और अलग – अगल फ़ंड होती हैं में हमेशा इक्विटि फ़ंड में इन्वेस्ट करता हूँ personally खुद 14 से 15 साल से तो मुझे ऐसा लग रहा हैं की अगर रिस्क लेना ही हैं तो क्यों ना ज्यादा रिस्क लू और इक्विटि फ़ंड में ही इन्वेस्ट करू और debt फ़ंड के अंदर और fixed इंकम securities के अंदर directly ही इन्वेस्ट कर दूंगा ये आप के ऊपर डेपंड करता हैं आप जिस में जाना चाहते है उस में जा सकते हैं अब हम एक और तरीके से म्यूचुअल फ़ंड को Characterization कर सकते हैं जैसे
1. Large Cap
2. MID Cap
3.Smal Cap
Large Cap – लार्ज कप बड़ी कंपनी के अंदर इन्वेस्ट करते हैं जो सेंसवेक्स के टॉप 30 कंपनी हैं निफ्टी के टॉप 50 कंपनी हैं Mind cap कंपनी उसे नीचे आ जाती हैं बड़ी कंपनी से नीचे आ जाती हैं small cap बहुत छोटी कंपनी होती हैं
small cap -के अंदर रिस्क थोड़ा ज्यादा होता हैं रिटर्न आपको definitely ज्यादा मिल सकते हैं लार्ज cap कंपनी के अंदर रिस्क कम है तो रिटर्न भी थोड़े से कम हैं
Mid Cap- कंपनी में moderate रिस्क हैं और moderate रिटर्न भी हैं इसको एक और तरीके से characterize कर सकते हैं Sector funds होते हैं जैसे कुछ फ़ंड technology, कंपनी में इन्वेस्ट करते हैं या फिर बैंकिंग सैक्टर फ़ंड होते हैं आटोमोबाइल हो सकता है Agricultural सैक्टर हो सकता हैं FMCG सैक्टर फ़ंड हो सकता हैं तो अगर आप किसी सैक्टर पर है और आपको लगता हैं की सैक्टर ग्रो करे गा तो सैक्टर फ़ंड में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं इसके अलावा Tax Saving Fund होते हैं जिसे हम Equity Linked Saving Schemes (ELSS) कहते हैं इन में भी आप इन्वेस्ट कर सकते हैं अगर आप ELSS में इन्वेस्ट करते हैं तो आप दो बातों का ध्यान रखना चाहिए पहला की आपको tax deduction claim कर सकते हैं Under Section 80C तहत और दूसरा आप immediately पैसा नहीं निकाल सकते हैं इसमें 3 साल का लक इन पीरियड होता हैं इसके अलावा आपको इंडेक्स फ़ंड भी होते हैं जो directly सेंसेक्स और निफ्टी से लिंक होते है तो जैसे – जैसे सेंसेक्स ऊपर जाता हैं उतने रिटर्न्स आपको वह देगे और अगर सेंसेक्स नीचे आता हैं तो वह आपको उतने ही रिटर्न्स कम हो जाएगे तो वह directly हमारे इंडेस से लिंकेड होते हैं इसलिए हम लोग उसे इंडेस फ़ंड कहते हैं तो आपको features और types ऑफ म्यूचुअल फ़ंड cleared हो ही गया हैं
How to Invest mutual funds – हमारा सबसे पहला सवाल आता हैं की हम SIP के अंदर पैसा डाले यानि की Systematic Investment plan जिसमें आप हर महीने कुछ पैसे डिपॉज़िट करते रहते हैं म्यूचुअल फ़ंड मेन या फिर LUMPSUM amount इन्वेस्ट करे देखे systematic SIP में कोई problem ही नहीं हैं क्योंकि आपके रिटर्न्स औसत हो जाते हैं आपको प्रॉफ़िट ये हैं की आपको एक हैबिट बन जाता हैं पैसा इन्वेस्ट करने कि इसलिए systematic प्लान हमेशा recommended होता हैं वह आप जरूर कर सकते हैं और अब Lump sum की बात करते हैं आप lump sum में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं देखो Lump sum में आपको कब इनवेस्टमेंट करना चाहिए जब हर किसी का sentiments खराब हैं जैसा की स्टॉक मार्केट crashed कर गई और हर कोई कह रहा हैं की स्टॉक मार्केट बेकार हैं तब आप म्यूचुअल फ़ंड के Lump sum के अंदर पैसा लगाये और अगर मार्केट अच्छा चल रहा हैं और हर कोई मार्केट के बारे में बात कर रहा हैं तो स्टॉक मार्केट आगे गिरने वाली हैं और प्राइस inflated हो चुकी हैं तब आपको एक दम से ज्यादा AMOUNT LUMPSUM में नहीं लगाना चाहिए थोड़ा सा इस बात का ध्यान रखिए गा क्यों की अपने बहुत ज्यादा पैसा लगा दिया और मार्केट एक दम से crashed हो गया सेम लेवल पर आने में कई साल लग जाते हैं जैसे की 2008 जनवरी में सेंसेक्स 21000 हजार का था sept 3009 के अंदर 8000 पर आ गया था कितना बड़ा लॉस हुआ था और वापस 21000 आने में 4 से 5 साल लगे गए थे तो अपने वह 4 से 5 साल का गेप को consider किया तो 21000 हजार पर एंटर कर लिए तो आपके 4 से 5 साल में जेरो रिटर्न्स मिलेगे तो ऐसी गलती आप लोगो को नहीं करनी हैं और अगर systematic plans में इन्वेस्ट किया होता तो आप धीरे –धीरे हर महीने ग्रो मार्केट होती तो भी उसके रिटर्न्स averaged ही मिल जाते हैं तो इस बात का आप ध्यान रखे दूसरा सवाल उठता हैं कि आपको क्या चेक करना चाहिए म्यूचुअल फ़ंड में इन्वेस्ट करते समय तो सबसे पहले इसके अंदर आपको 5 से 10 साल का एव्रेज रिटर्न्स देखने चाहिए मैने पहले भी बात किया हैं हर इनवेस्टमेंट के बारे में जब में लिखता हूँ तो में हमेशा ये कहता हूँ कि कि भी इनवेस्टमेंट में लॉन्ग टर्म कि बात करे 5 से 10 साल कि बात कर शॉर्ट टर्म कि बात ना करे क्योंकि आपको लॉन्ग टर्म रिटर्न्स देखते है और आपको उतना रिटर्न मिल पते हैं क्योंकि शॉर्ट टर्म के अंदर ऊपर नीचे कोई भी इनवेस्टमेंट जा सकती हैं तो यहाँ पर 5 से 10 साल का past का returns को compare करे किसी भी म्यूचुअल फ़ंड के दूसरा उसके expense रैशियो consider करे की इतना % commission के अंदर जा रहा हैं 1 से 2% फ़ाइन 1 से 2 % कोई भी एसेट मैनेजमेंट कंपनी चार्ज करेगी ही दूसरा direct mutual fund के अंदर इन्वेस्ट करे इसमे आपको ब्रोकर का चार्ज नहीं देना पड़ेगा डाइरैक्ट plans में आपको कैसे इन्वेस्ट करना हैं ये आपको नेस्ट आर्टिकल में मिल जाएगा तीसरा आपको Entry load और Exit load देख लेना चाहिए मतलब कि एक बार आप इन्वेस्ट कर रहे हैं उसमें आपका कुछ पैसा cut सकता हैं और Exit load जब आप redeem कर रहे हैं या बेच रहे हैं म्यूचुअल फ़ंड को तो आपको कुछ पैसा देना पड़ सकता हैं तो वह चीज भी आप compare कर लिए लीजिए म्यूचुअल फ़ंड मेँ और अब आपको तीसरी बात का क्या ध्यान रखना हैं आप किस तरीके से इन्वेस्ट करना चाहते हैं Mutual funds basics for beginners in hindi
1. एक तो आप गोल based इन्वेस्ट कर सकते हैं मान लीजिए आपको 10 साल बाद 20 लाख रुपे चाहिए तो आप calculator में उसे calculate कर सकते हैं
2. दूसरा आप एक targets रख सकते हैं कि में हर महिना इतना पैसा इन्वेस्ट करना चाहता हूँ वह मेरे 5 साल 10 साल का amount कितना बन जाएगा तो आप “money control site” पर जा कर चेक कर सकते हैं और अपना प्लान systematize SBI के साइट पर जा कर देख सकते हैं
Pros & cons – 1. अब हम लोग बात करते हैं इनके फायदे और नुकसान के म्यूचुअल फ़ंड का सबसे बड़ा फायदा और आपको return बहुत अच्छे मिल जाते हैं और रिस्क आपका कम होता हैं और आप basically inflation को बीट कर पते हैं दूसरा फायदा ये हैं कि आपके पास liquidity बहुत अच्छी होती हैं क्योंकि अगर आप पैसा निकलते हैं तो आप कभी भी निकाल सकते हैं
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